New Delhi: (Fertilizers News) रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के तहत एक सीपीएसई, राष्ट्रीय कैमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (आरसीएफ) भारत के कृषक समुदाय के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है. कोविड-19 के चुनौतीपूर्ण समय में भी आरसीएफ ने कृषक समुदाय को खरीफ बुवाई सीजन के लिए 'उज्जवला' यूरिया एवं 'सुफला' उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित की है. आरसीएफ के संयंत्र प्रचालनगत रहे हैं और पर्याप्त मात्रा में इसके उर्वरकों का उत्पादन किया गया. इसके विनिर्मित उर्वरकों के अतिरिक्त, आरसीएफ ने देश में वर्तमान खरीफ मौसम के लिए किसानों को दो लाख एमटी से अधिक ट्रेडेड कांप्लेक्स उर्वरक अर्थात डीएपी, एपीएस (20 : 20 :0 : 13) तथा एनपीके (10 : 26 : 26) उपलब्ध कराया है.
यह भी उल्लेखनीय है कि आरसीएफ ने नवीनतम प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार भारत की शीर्ष इंडिया फॉर्च्यून 500 कंपनियों में अपनी रैंकिंग 2018 के 191 से सुधार कर 2019 में 155 कर ली है.
आरसीएफ के सीएमडी एस सी मुदगेरिकर ने कहा कि उपरोक्त उपलब्धियां आरसीएफ कर्मचारियों द्वारा सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण समय में की गई कड़ी मेहनत और उर्वरक विभाग की समस्त टीम द्वारा सतत रूप से प्राप्त दिशानिर्देश एवं प्रोत्साहन तथा पूरी सहायता के कारण संभव हो पाई.
राष्ट्रीय केमिकल्स एवं फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (आरसीएफ), भारत के सार्वजनिक उर्वरक बनानेवाले सबसे बड़े उद्योगों में से एक है. भारत सरकार की मिनी रत्न पीएसयू आरसीएफ अत्याधुनिक तथा पर्यावरण संवेदनशील तकनीक का उपयोग कर उच्चतम रसायनिक खाद एवं रसायनों का उत्पादन करती है. इसकी दो बड़ी उत्पादन इकाईयाँ ट्रॉम्बे (मुम्बई) और थल (अलीबाग) में कार्यरत हैं. आरसीएफ के दो विशाल संयंत्र सुफला 15:15:15 एवं सुफला 20:20:0 (संयुक्त खाद) के उत्पादन में कार्यरत हैं, जिनकी वार्षिक उत्पादन क्षमता 7.22 लाख मेटरिक टन है. देश में अपने प्रकार के यह संयुक्त दानेदार उर्वरक, नत्र, पलाश, एवं स्फुरद युक्त हैं जो कि फसलों के लिये अत्यावश्यक है. 1985 से संचालित आर सी एफ थल (अलिबाग) के विशाल यूरिया संयंत्र ने महाराष्ट्र के रासायनिक उर्वरक उद्योग को एक नया आयाम दिया है. यह इकाई एशिया के विशालतम इकाईयों में से एक है जो प्रति वर्ष 17.07 लाख मेटरिक टन यूरिया का उत्पादन करती है.
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